छवि “लौह पुरूष की ऐसी न देखी, ना सोची कभी आवाज में सिंह सी दहाड़ थी हृदय में कोमलता की पुकार थी एकता का स्वरूप जो इसने रचा देश का मानचित्र पल भर में बदला गरीबो का सरदार था वो दुश्मनों के लिए लौह था वो आँधी की तरह बहता गया बनकर गाँधी का अहिंसा का […]

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छवि “लौह पुरूष की ऐसी न देखी, ना सोची कभी आवाज में सिंह सी दहाड़ थी हृदय में कोमलता की पुकार थी एकता का स्वरूप जो इसने रचा देश का मानचित्र पल भर में बदला गरीबो का सरदार था वो दुश्मनों के लिए लौह था वो आँधी की तरह बहता गया बनकर गाँधी का अहिंसा का […]