Precipitation | वर्षण के प्रकार एवं वितरण |
जब आर्द्र वायु की अपार मात्रा किसी कारणवश ऊपर उठती है तो उसके तापमान में गिरावट आने लगती है और अंततः एक ऊँचाई पर संघनित होने लगती है। इस संघनन से मेघों की उत्पत्ति होती है।
मेघ जल की महीन बूँदों अथवा छोटे-छोटे हिमकणों अथवा दोनों ही से निर्मित होते हैं। ये जलबूँदें भार में हल्की होने के कारण मेघों को त्याग नहीं पाती है परन्तु जब छोटी-छोटी जलबूँदे आपस में संयुक्त होकर बड़ी बूँदों में बदल जाती है तो उनका भार इतना अधिक हो जाता है कि वे मेघों को त्याग कर भूमि पर गिरने लगती हैं। इसी प्रक्रिया को वर्षण (Precipitation) कहते हैं।
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1. वर्षा:- जब मेघों से 0.5 मि. मी. व्यास से अधिक बड़ी बूँदें भूमि पर गिरती हैं तो इसे वर्षा का नाम दिया गया है जो वर्षण का विश्वव्यापी रुप है।
2. हिमपात:- श्वेत रंग के रवेदार हिमकणों की वर्षा को हिमपात कहते हैं। हिमपात में हिमकणों का व्यास 4 या 5 मि. मी. के लगभग होता है और हिमकणों की शक्ल सितारों जैसी होती है।
3. फुहार:- यह महीन बूँदों की वर्षा है। इसमें जलबूँदों का व्यास 0.5 मि. मी. से कम होता है। यह सामान्यतः शांत या अति धीमी वायुधारा में गिरती है।
4. ओले:- जब मेधों से बर्फ की बड़ी-बड़ी गोलियाँ जिनका व्यास 5 से 50 मि. मी. या कभी-कभी 4 से. मी. से 5 से. मी. तक होता है, गिरती हैं तो वर्षण के इस रुप को ओला कहते हैं।
5. स्लीट (Sleet):- वास्तव में यह अमरीकी नाम है। वैसे इसे बर्फ बजरी (Ice Pellets) कहते हैं और इसके अंतर्गत बर्फ की छोटी-छोटी गोलियाँ अथवा जमी हुई (Frozen) जलबूँदें तथा बिना जमी जलबूँदें भूमि पर गिरती हैं।
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