Uttarakhand Tragedy – उत्तराखंड त्रासदी: प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा चमोली में आई त्रासदी के रूप में एक बार फिर सामने आया है।
मानवीय हस्तक्षेप के कारण केवल चमोली में ही नहीं बल्कि हिमालय के अनेक स्थानों में इस तरह की त्रासदी आ सकती है । पहाड़ी इलाकों में बांध, सड़के, हाइडेल प्रोजेक्ट, पुल इत्यादि बनाए जाते हैं, लेकिन उनको बनाने के जो सही तरीके हैं। उस प्रक्रिया की अनदेखी कर दी जाए तो इस प्रकार की त्रासदी तो होगी ही और काफी संख्या में लोग मारे जाएंगे तथा हजारों करोड़ की संपत्ति का नुकसान भी होगा।
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श्री के. सिद्धार्थ सर (Chief Mentor K .Siddhartha who has been a mentor to 1553 selected Civil Servants who are serving throughout the country) इस वीडियो के माध्यम से यही सब सरल भाषा में समझाने का प्रयास कर रहे हैं, कि जब ग्लेशियर पिघल जाए या टूट जाये तो यह झील के रूप में परिणत हो जाता है। और किस प्रकार उसके मलबे का प्रबंधन करना चाहिए।
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Uttarakhand tragedy उत्तराखंड त्रासदी पहाड़ी क्षेत्रों में ब्लास्टिंग से किस प्रकार प्राकृतिक नुकसान होता है, पहाड़ी क्षेत्रों में किसी भी प्रोजेक्ट को बनाते समय कोन सी गलतियों से हमें बचना चाहिए। सभी को पर्यावरण के प्रति सम्मान करना चाहिए और पिछली दुर्घटनाओं से सबक लेना चाहिए, नहीं तो इस तरह के हादसे आम बात हो जाएगी ।
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