Disengagement India China : भारत-चीन सीमा पर सेना वापसी समझौता

Disengagement India-China : भारत-चीन सीमा पर सेना वापसी समझौता

Disengagement India China आखिर भारत चीन सीमा पर सेना चीनी सीमा को वापस जाना पड़ा पूर्वी लद्दाख में भारत -चीन सीमा पर दोनों देशों के बीच करीब 10 महीने के तनाव के बाद चीन पैंगोंग-सू झील के उत्तर और दक्षिणी तट पर से पीछे हटने के लिए समझौता कर लिया। भारत, इस समझौते को शांतिपूर्ण ढंग से करवाने में सफल हो गया।

इस संदर्भ में पैंगोंग-सू झील के क्षेत्र में भारत का चीन के साथ डिसएंगेजमेंट संघ का समझौता हुआ है। इस दिस इंगेजमेंट के तहत दोनों पक्ष अपनी-अपनी सैन्य तैनात को चरणबद्ध,समन्वय और प्रामाणिक तरीके से हटाएंगे। जो सैनिक ऊंचाई पर तैनात हैं उनको नीचे लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। इस समझौता के परिणाम स्वरूप एल-ए-सी भारत-चीन के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए अभी चीन के टैंक और सेना फिंगर 8 की ओर लौट रहे हैं।  और भारतीय सेना भी अपनी पोस्ट पर लौट रही है ।

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भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी रेखा अधिकांशत: जमीन से होकर गुजरती है । इस के बीच पैंगोंग-सू झील अवस्थित है और रोचक बात यह है कि यहां भारत और चीन की सीमाएं पानी में है। एल.ए.सी. इस झील में कहां तक इसकी सीमा है यह दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बन जाता है और इसे लेकर भारत और चीन अलग-अलग दावे प्रस्तुत करते हैं। यह ज्ञात होना चाहिए कि पैंगोंग-सू झील एक 135 किलोमीटर लंबी, गहरी और जमीन से घिरी (Landlocked) झील है।  जो 14000 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है।  रणनीतिक रूप से यह झील इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर चीन भारत पर आक्रमण करना चाहे तो उसके पास चुशुल के रास्ते घुसने का विकल्प है और उसी के रास्ते में यह झील पड़ती है ।

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Disengagement India China कुछ साल पहले चीन ने फिंगर 4 पर स्थायी निर्माण करने की कोशिश की थी। जिसे भारत द्वारा कड़ी आपत्ति के बाद हटा लिया गया था। भारत फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करता रहा है, परंतु यह पेट्रोलिंग पैदल ही होती है। मई 2020 में फिंगर 5 एरिया में दोनों  सेनाएं आमने-सामने आ गई थी । भारत के सैनिकों के बीच टकराव की हुई थी। भारत की एक स्थायी पोस्ट फिंगर 3 के पास है। चीन के जवाब में भारत ने भी चोटियों पर भारी संख्या में जवान तैनात कर दिये।जब तक हम अपने आप को अधिक बलशाली नहीं प्रमाणित करते चिन नरमी की भाषा समझ नहीं रहा था भारतीय सेनाओं ने जिस शौर्य और बहादुरी का परिचय इस सिमा पर दिया यह समझौता उसी का प्रतिफल है । एक बार फिर भारतीय सैनिक भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में सफल रहे ।