आसमान-पर-कूड़ेदान

आसमान पर कूड़ेदान

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आसमान में नन्हे तारे कितने हैं? यह सवाल हमारे बचपन का सबसे बड़ा सवाल होता था, सबसे अबूझ पहेली। इसके जवाब से बच्चों को संतुष्ट करना किसी भी दौर के परिपक्व लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन यह सवाल शायद उतना कठिन नहीं है कि दूर आसमान में मानव द्वारा भेजे गए कितने उपग्रह घूम रहे हैं? (आसमान पर कूड़ेदान) हालांकि यह बहुत आसान भी नहीं है, क्योंकि हर दूसरे दिन कोई न कोई उपग्रह अंतरिक्ष की ओर रवाना हो जाता है और हर दूसरे दिन ही कोई न कोई उपग्रह अपनी मियाद खत्म होने के बाद अंतरिक्ष में भटकने के लिए अभिशप्त हो जाता है। एक अनुमान के अनुसार, इस समय अंतरिक्ष में इंसान द्वारा भेजे गए 1,100 से ज्यादा सक्रिय उपग्रह हैं। इसके अलावा 2,600 से ज्यादा ऐसे उपग्रह हैं, जो जिनकी मियाद खत्म हो चुकी है, लेकिन वे अपनी कक्षाओं में चक्कर काट रहे हैं। ये संख्या अब काफी तेजी से बढ़ने लगी है। कई संचार कंपनियां हजारों की तादाद में नए उपग्रह लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं, ताकि आपको हर जगह बिना बाधा के इंटरनेट सुविधा मिले। अभी पिछले महीने ही 7 फरवरी को वनवेब नाम की कंपनी ने एक साथ 34 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे थे। पिछले साल मई में स्पेसएक्स नाम की कंपनी ने 60 संचार उपग्रह लॉन्च किए थे। उसकी शुरुआती योजना 1,600 संचार उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने की थी, लेकिन अब उसने 42,000 उपग्रह लॉन्च करने के लिए इजाजत की अर्जी दी है।

वैज्ञानिकों को डर है कि अगर ऐसा हुआ, तो कुछ समय बाद ब्रह्मांड का सबसे बड़ा कूड़ाघर दूर अंतरिक्ष में ही होगा। इसके जो खतरे हो सकते हैं, उनका आकलन इस समय दुनिया भर के वैज्ञानिक कर रहे हैं। लेकिन एक नुकसान तो साफतौर पर सामने आ चुका है। यह नुकसान अंतरिक्ष शोध से जुड़ा हुआ है। दुनिया भर के खगोलशास्त्री दूर आसामन में झांकने के लिए अपनी विशालकाय दूरबीनों के साथ रात का इंतजार करते हैं। तब सूर्य की किरणें बाधा नहीं बनतीं और वे आसानी से ग्रहों की गतिविधियों को देख समझ सकते हैं। मगर अब एक नई बाधा आने लगी है- मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए उपग्रह। आमतौर पर इन उपग्रहों पर चमकीले सोलर सेल लगे होते हैं, जो सूरज की रोशनी पड़ते ही दमक उठते हैं। ये दमकते उपग्रह अंतरिक्ष के अध्ययन की सबसे बड़ी बाधा बनते जा रहे हैं।

चिली के सबसे ऊंचे पर्वत पर बनी वेरा सी रुबिन ऑब्जर्वेटरी के खगोलशा्त्रिरयों ने इसे लेकर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई है। इस वेधशाला में जो दूरबीन है, उसकी गिनती दुनिया की सबसे विशाल दूरबीनों में होती है। इसके खगोलशास्त्रियों का कहना है कि ये मानव निर्मित उपग्रह उनके द्वारा प्राप्त एक तिहाई छवियों को खराब कर देते हैं। एक रास्ता यह सुझाया गया है कि ऐसे उपग्रह लांच किए जाएं, जो चमकीले नहीं धूसर हों और सूर्य के प्रकाश को परावर्तित न करें। स्पेसएक्स ने ऐसा एक उपग्रह इस साल जनवरी में लॉन्च भी किया है। यह बहुत बडे़ पैमाने पर तो शायद तभी हो सकेगा, जब इसके लिए कोई स्पष्ट कानून बनाया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कानून बनाना और उसे लागू करना आसान नहीं है। लेकिन ऐसा हो भी जाता है, तब भी अंतरिक्ष के कूड़ेदान हो जाने की समस्या को समाधान नहीं होगा। ऐसा क्यों होता है कि इंसान जहां भी जाता है, कूड़ा छोड़ आता है?

Source: हिन्दुस्तान | 

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