पहाड़ों पर धमाके, पाताल में जलस्तर
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भरतकूप के पहाड़ों में हो रही हैवी ब्लास्टिग का दुष्प्रभाव भूगर्भ जलस्तर पर पड़ा है। जिस पौराणिक भरतकूप का पानी भीषण सूखे में भी कम नहीं होता था, अब साल दर साल उसका जलस्तर पांच से छह फीट पाताल में जा रहा है। तमाम कुएं व हैंडपंप सूख चुके है। भयावह होते हालात से वाकिफ होने के बाद भी प्रशासन ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
10 साल में चार मीटर गिरा जलस्तर
केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड की 10 साल की रिपोर्ट (2009 से 2019) के अनुसार चित्रकूट में मई माह में चार मीटर से ज्यादा जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। 70 फीसद कुंओं में चार मीटर से ज्यादा जलस्तर में गिरावट पाई गई है। यह स्थिति आने वाले समय में और भयावह हो सकती है। पर्यावरणविद् गुंजन मिश्र कहते हैं कि पहाड़ों में ऐसी एक्टूफर (पानी रोकने वाली चट्टानें) होती है जो वर्षा जल को अपने पर्तों को बीच में रोककर रखती है। वही पानी धीरे-धीरे जमीन में जाकर जलस्तर को बढ़ाता है जहां पहाड़ों में खनन अधिक होता है वहां जलस्तर प्रभावित होता है। खास कर बड़ी मशीनों और हैवी ब्लास्टिग से एक्टूफर टूट जाती है। उससे जलस्तर गिरता जाता है। यहीं स्थिति राजस्थान की है वहां पर भी ग्रेनाइट के पहाड़ों में हैवी ब्लास्टिग होती है।
पांच साल से गिर रहा जलस्तर
भरतकूप मंदिर के महंत लवकुश महराज कहते हैं कि भरतकूप वह पौराणिक कूप है जिसमें सभी तीर्थों का जल लाकर भरत जी ने डाला था। अनादिकाल से भरतकूप के पानी को लोग पीने और अन्य प्रयोग में इस्तेमाल करते थे लेकिन बीते पांच साल से जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है। गर्मी में तो पांच से 10 फीट पानी कम हो जाता है।
बुंदेलखंड में वैसे भी भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिरता है। पहाड़ की चट्टानें पानी रोकती हैं लेकिन इधर देखने में आ रहा है कि पानी काफी तेजी से खिसक रहा है। इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को भेजेंगे।