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हैशटैग (Hashtag) की भेड़चाल

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सोशल मीडिया (Social Media) पर हैशटैग (Hashtag) की भेड़चाल: तकनीक शब्दों, प्रतीकों और संकेतों के अर्थ बदल देती है। यूरोपीय भाषाओं का सांकेतिक अक्षर है हैशटैग।परंपरागत रूप से इसे संख्याओं से जोड़कर पेश किया जाता था, इसलिए इसे नंबर साइन भी कहा जाता था। लेकिन सूचना तकनीक ने जैसे ही इसे सर्च इंजन की सहूलियत वाली एक निशानी के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया, इसकी तो किस्मत ही बदल गई।

सोशल मीडिया पर आने के बाद इसका उपयोग बेतहाशा बढ़ गया। टिवीटर और फेसबुक पर ये हैशटैग किसी भी विषय की मुख्यधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं, यानी यदि आप हैशटैग उद्धव ठाकरे पर पोस्ट करते हैं, तो आपकी पोस्ट इस हैशटैग की बाकी सारी पोस्ट के साथ दिख जाएगी। वैसे आप चाहें, तो हैशटैग देवेंद्र फडणवीस के नाम पर भी पोस्ट कर सकते हैं, या फिर हैशटैग अजित पवार पर भी। जितनी तरह की राजनीतिक धाराएं संभव हैं, सबका हैशटैग बन जाता है। अनगिनत लोगों की कोशिश रहती है कि वे अपनी पोस्ट हैशटैग के साथ ही पेश करें, इससे वे उस विषय की मुख्यधारा में शामिल हो जाते हैं। उनकी बातों को पढे़ व देखे जाने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। सभी यही करते हैं, पर क्या सब हैशटैग को गंभीरता से भी लेते हैं? पिछले दिनों कोलंबिया जर्नलिज्म रिव्यू  ने इसे परखने की कोशिश की, तो काफी दिलचस्प नतीजे मिले।

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पत्रिका ने इसके लिए दुनिया भर में खासे प्रचारित हैशटैग मीटू का इस्तेमाल किया। यह बहुचर्चित हैशटैग उच्च-पदस्थ पुरुषों द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित था। महिला उत्पीड़न से जुड़ी एक ही खबर पहले हैशटैग के साथ और बाद में बिना हैशटैग के पोस्ट की गई। यह पाया गया कि बिना हैशटैग वाली पोस्ट से तो खबर खूब पढ़ी गई, पर दूसरी खबर नजरंदाज हो गई। वैसे इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि हैशटैग में पोस्ट की इतनी बाढ़ आ जाती है कि किसी मूल खबर को पढ़ने की लोगों की उत्सुकता कम हो जाती है। अगली बार जो खबर चुनी गई, वह एक सर्वेक्षण की थी, जिसमें पाया गया कि 81 प्रतिशत महिलाओं और 43 प्रतिशत पुरुषों को लैंगिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा। नतीजे इस बार भी यही थे, मगर इस बार इन पोस्ट पर की गई टिप्पणियों को भी दर्ज किया गया। पाया गया कि हैशटैग पर की गई टिप्पणियां या तो आक्रामक थीं या फिर बहुत नकारात्मक। जैसे एक टिप्पणी थी कि आपकी बात सही हो सकती है, पर यह सब अब बहुत हो गया। इसके विपरीत बिना हैशटैग वाली पोस्ट में टिप्पणियां अपेक्षाकृत संयत थीं।

वैसे सोशल मीडिया पर हैशटैग एक बड़ी भूमिका निभाता है। वह हर एक को किसी भी विमर्श की मुख्यधारा से जुड़ने के मौका देता है, साथ ही यह संभावना भी बनती है कि उसकी पोस्ट पूरी तरह नजरंदाज न हो जाए। हैशटैग ने कई मुद्दों और आंदोलनों को न सिर्फ मजबूत किया, बल्कि नया विस्तार भी दिया है। मगर इसी के साथ का एक दूसरा सच यह भी है कि हैशटैग सोशल मीडिया पर एक भेड़चाल को भी जन्म देता है। किसी भी भेड़चाल की एक खासियत यह होती है कि यह लोगों को गंभीरता से सोचने-समझने और गहरे अध्ययन से रोकती है। जैसे किसी भेड़चाल से लोग एक समय बाद ऊब जाते हैं, वही हैशटैग से भी होता है। यह साबित करता है कि सोशल मीडिया विमर्श को विस्तार देने का माध्यम भले ही हो, यह गंभीर मनन का विकल्प नहीं है।

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Source : हिन्दुस्तान

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