नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री
एक बार फिर इस पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में निजी क्षेत्र को भी भाग लेने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। यह इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि उन्होंने यह बात मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में कही। केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकारों के लिए यह समझना बहुत आवश्यक है कि निजी क्षेत्र के सहयोग के बगैर देश अपेक्षित प्रगति नहीं कर सकता। विभिन्न देश तभी तरक्की कर पाए हैं, जब उन्होंने निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया।
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भारत सरीखे देश के लिए तो ऐसा करना और भी आवश्यक है, क्योंकि एक बड़ी आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करना है। इसमें रोजगार की भी आकांक्षा है और बेहतर जीवन शैली की भी। आज के युग में यह संभव नहीं कि सरकार सब कुछ करे। जिन भी देशों ने इस अवधारणा को आत्मसात किया कि सब कुछ सरकार को करना चाहिए, उनका बंटाधार ही हुआ। निजी क्षेत्र के सहयोग के बगैर देश को विनिर्माण का गढ़ बनाने की कोशिश कामयाब होने वाली नहीं है। सरकारों का काम उद्योग-धंधे चलाना नहीं, बल्कि वे बेहतर तरीके से कैसे चलें, इसके लिए समुचित नियम-कानून बनाना और उनका सही तरह से पालन सुनिश्चित कराना है।
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