Surrogacy in India

Surrogacy in India | भारत में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी का विनियमन | सामान्य अध्ययन- पेपर 2 | भारत का संविधान और राजव्यस्था

Surrogacy in India भारत में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी का विनियमन

चर्चा में क्यों?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने “सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021” और “सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021% से उत्पन्न होने वाले भेदभाव के बारे में केंद्र से स्पष्टीकरण होगा, जो भारत में सभी प्रकार की वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाता है।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम,2021

संशोधन की आवश्यकता :

  • सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकीयों में क्रांति के के कारण पिछले वर्षो में भारत वैश्विक प्रजनन उद्योग के प्रमुख प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया है। भारतीय चिकित्सा पर्यटन बाज़ार के प्रजनन खंड का मूल्य प्रतिवर्ष 450 मिलियन डॉलर से अधिक है।
  • यद्यपि सहायक प्रजनन तकनीकों ने वांझपन से पीड़ित कई व्यक्तियों को आशा दी है, लेकिन इसने कई कानूनी, नैतिक और सामाजिक मुद्दे भी पेश किए हैं। इसके बावजूद, भारत मे एआरटी को विनियमित करने के लिए केवल दिशानिर्देश हैं, और कोई कानून मौजूद नहीं है।
  • सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 पर चयन समिति ने सिफारिश की, है कि एआरटी विधेयक को सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 से पहले लाया जाना चाहिए, ताकि सरोगेसी (विनियमन) विधेयक में सभी उच्च तकनीकी और चिकित्सा पहलुओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किया जा सके।

Surrogacy-in-India-1

The link to join the course : Online Courses

सहायक प्रजनन प्रोद्योगिकी (एआरटी) सेवाओं के बारे में

ये प्रौद्योगिकियां उन सभी तकनीकों को संदर्भित करती हैं जो मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या अंडाणु को संभालकर और युग्मक या भ्रूण को एक महिला के प्रजनन पथ में स्नान स्थानांतरित करके गर्भावस्था प्राप्त करने का प्रयास करती हैं।

> एआरटी सेवाओं में निम्नलिखीत सेवाएं शामिल हैं-

(1) डिम्ब ग्रंथि उत्तेजना |

(2) अंडा पुर्नप्राप्ति ।

(3) इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)

(4) अंतर – गर्भाशय गर्भाधान (IUI)

(5) इंट्रासाइटोप्लामिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई)

(6) भ्रूण स्थानांतरण

(7) गैमेटे इंट्राफैलोपियन ट्रांसफर (गिफ्ट)

(3) जाइगोट इंट्राफैलोपियन ट्रांसफर (ZIFT)

(१) माइक्रोसर्जिकल एपिडीडियल स्पर्म एस्पिरेशन (एमईएसए)

(10) कृष्ण शुक्राणु निस्कर्षण (TESE)

(11) परक्यूटेनियस एपिडीडियल स्पर्म एस्पिरेशन (PESH)

(12) युग्मकों और भ्रूण का क्रायोप्रिजर्वेशन |

→एआरटीप्रक्रियाओं का निम्न तरीकों से शोषण किया जा सकता है:

(1) एक महिला के शरीर से अंडे निकालने की सर्जिकल प्रक्रिया करने में लापरवाही।

(2) कई क्षेत्रों में युवा अविवाहित लड़कियों से अंडे की पुनर्प्राप्ति की जाती हैं।

(3) एएआरटी बैंकों में डिवं और शुक्राणु का अनैतिक संरक्षण

(4) एआरटी क्लीनिकों की प्रक्रियाओं में लिंग चयन

(5) एकाशिक भ्रूण प्रत्यारोपन

(6) एआरटी बैंक कोकेशियान दाता युग्मक के लिए विज्ञापन दे रहे हैं।

(7) बैंकों द्वारा शुक्राणुओं के नमूनों का मिश्रण

(8) अंडाणु एवं शुक्राणु दान का व्यावसायीकरण

 एआरटी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की मुख्य विशेषताएं:

> परिभाषा: अधिनियम एआरटी को उन सभी तकनीकों को शामिल करने के लिए परिभाषित करता है जो मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या ओओसाइट (अप्रिपकव अंडा कोशिका) को संभालकर और युग्मक या भ्रूण को एक महिला की प्रजनन प्रणाली में स्थानांतरित करके गर्भावस्था प्राप्त करना चाहती है। उदाहरणार्थः युग्मक (‘शुक्राणु या अंडाणु) दान, इन विट्रो निषेचन और गर्भकालीन सरोगेसी।

>एआरटी क्लीनिकों और बैंकों का विनियमन :-

प्रत्येक एआरटी क्लीनिक और बैंक को भारत के बैंकों और क्लीनिकों की राष्ट्रीय राजिस्ट्री के तहत पंजीकृत होना चाहिए। पंजीकरण 5 वर्षों के लिये वेध होगा और अगले पांच वर्षों के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है और यदि इकाई अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो इसे रद्द किया जा सकता है।

एआरटी सेवाएं प्रदान करने की शर्तें:-

  • युग्मक दाता के लिए आयु आवश्यकता – पुरुष के लिए (21 से 55 वर्ष) और महिला के लिये (23 से 35 वर्ष)
  • एक महिला अपने जीवन काल में केवल एक बार अंडाणुदान कर सकती है और उसे विवाहित होना चाहिए और उसके उसका अपना कम से कम एक जीवित बच्चा होना चाहिए।

एआरटी सेवाएँ ग्रहणकरने की शर्तें :-

  • केवल बांझ विवाहित जोड़े या एकल महिलाएं (भारतीय या विदेशी) ही एआरटी सेवाएं ले सकती हैं।
  • एआरटी सेवाएं चाहने वाली पार्टी को अंडा दाता के पक्ष में बीमा कवरेज प्रदान करना आवश्यक होगा।
  • भ्रूण प्रत्यारोपन से पहले आनुवंशिक रोगों की जांच अनिवार्य।

>अपराध:-

  • युग्मकों की बिक्री या खरीद।
  • एआरटी के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के त्यागना।

> अधिनियम को लेकर चिंताएं:-

  • यह अधिनियम समलैंगिक जोड़ों, लिव-इन जोड़ों और LGBTQ+, समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को एआरटी तक पहुँच से बाहर रखता है।
  • अंडा दाताओं की पात्रता मानदंड बहुत प्रतिबंधात्मक है।
  • अधिनियम में एआरटी क्लीनिकों और बैंकों को राष्ट्रीय रजिस्ट्री के साथ कमीशनिंग पार्टियों और दाताओं के बारे में जानकारी को साझा करने करने से पार्टियों की निजता के अधिकार का असली उल्लघंन हो सकता है।
  • अधिनियम, एआरटी अधिनियम और सरोगेसी में क्लीनिकों के विनियमन पर अलग- अलग प्रावधान शामिल हैं, जो इस बात पर आधारित है कि वे सरोगेसी या अन्य एआरटी प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं या नहीं। इससे सरोगेसी सेवाओं और अन्य एआरटी सेवाओं के विनियमन में ओवरलैप हो जाता है।

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021

मुख्य विशेषताएं:-

परिभाषा: यह अधिनियम सरोगेसी को एक प्रथा के रूप में परिभाषित करता है जहाँ एक महिला इच्छुक जोड़े के लिए बच्चे को जन्म देती है, ताकि जन्म देने के बाद बच्चे को इच्छुक जोड़े को सौंप दिया जा सके।

सरोगेसी का विनियमन:- अधिनियम केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा वययऔर बीमा कवरेज़ के अलावा सरोगेट मां को कोई मौद्रिक मुआवजा शामिल नहीं है।

इच्छुक जोड़े के लिए पात्रता मानदंड: सरोगेसी की अनुमति केवल उन इच्छुक विवाहित भारतीय जोड़ों के लिए है जो सिद्ध “बांझपन” से पीड़ित

> सरोगेट माँ के लिए पात्रता मानदंड:-

  • सरोगेट मां इच्छुक जोड़े की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए।
  • सरोगेट मां को अधिनियम में उल्लिखित उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा जारी पात्रता प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।
  • एक विवाहित महिला जिसका अपना बच्चा है और प्रत्यारोपन के दिन उसकी उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच है।
  • एक महिला अपने स्वयं के युग्मक प्रदान करके सरोगेट मां के रूप में कार्य नहीं कर सकती है।
  • एक महिला अपने जीवनकाल में एक से अधिक बार सरोगेट मां के रूप में कार्य नहीं कर सकती है।
  • सरोगेट बच्चे का पालन पोषण और गर्भपात:-
  • सरोगेसी प्रक्रिया से पैदा हुए बच्चे को इच्छुक जोड़े का जेविक बच्चा माना जाएगा।
  • सरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सरोगेट मां की लिखीत सहमति और उपयुक्त अधिकारी की अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • सरोगेसी क्लीनिकों का विनियमन: सरोगेसी क्लीनिकों को उचित प्राधिकारी द्वारा पंजीकृत होना अनिवार्य है। केंद्र और राज्य सरकारें सरोगेसी से संबंधित नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देने और सरोगेसी क्लीनिकों ‘ के लिए आचार संहिता निर्धारित करने के लिए क्रमश: राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड (एनएसवी) और राज्य सरोगेसी बोर्ड (एसएसबी) का गठन करेंगी।

चिंताए :

  • एलजीबीटीक्यून + व्यक्तियों, लिव-इन-जोड़ों, और एकल माता- इस अवसर से वंचित करें।
  • परोपकारी सरोगेसी पितृसत्तात्मक है और महिलाओं की शारीरिक स्वयांताता का सम्मान नहीं करती है। यह अपेक्षा करताहैं कि एक महिला सरोगेसी के शारीरिक और भावनात्मक कष्टों से निःशुल्क और केवल ‘करुणा’ के कारण गुजरेगी।
  • व्यावसायिक सरोगेसी पर पूर्व प्रतिबंध से अनियमित, शोषणकारी भूमिगत / काले बाज़ारों का निर्माण हो सकता है।
  • अधिनियम में निकट रिश्तेदार” को परिभाषित नहीं किया गया है। जो क़ि से सरोगेट मां द्वारा पूरी की जाने वाली एक शर्त है।
  • जोड़े के लिए सरोगेसी विकल्प के प्रतिबंधित करने उन्हें प्रजनन स्वतंत्रता से वंचित करता है।
  • इच्छुक दंपत्ति को सरोगेट बच्चे के गर्भपात की सहमति में अंतिम अधिकार नहीं होता है, भले ही सरोगेसी व्यवस्था से पैदा होने वाले वाला बच्चा शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं के जोखिम में हो।
  • सरोगेट मां के लिए पात्रता मानदंड अतार्किक, गैर कानूनी, भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद-14 (समालता का अधिकार), और 21 जीवन का अधिकार) के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • एक निश्चित स्तर से अधिक उम्र वाली विद्यावा महिला को अपने स्वयं के युग्मकों का उपयोग करने की सलाह चिकित्सकीय रूप से नहीं दी जाती है, जिससे उसे बच्चा पैदा करने का मौका नहीं मिलता है।

आगे की राह

दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा अधिनियमों की कुछ सीमाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। ये सीमाएं गहन जांच की मांग करती हैं। यह आवश्यक है कि, सरोगेट माताओं के शोषण को संबोधित करने की प्रक्रिया में, एक व्यापक और समावेशी प्रक्रिया स्थापित करने के लिए अधिनियम को संशोधित किया जाना चाहिए। इस संशोधित प्रक्रिया का उद्देश्य भारत के योग्य नागरिकों के लिए सरोगेसी को आसानी से सुलभ बनाना चाहिए।

Best Online Coaching for Civil Service_IAS_ UPSC_IFS_IPS

Free Study Material ENSEMBLE IAS ACADEMY | Call +91 98115 06926 |

Visit us: – https://ensembleias.com/ | Online Store: https://online.ensemble.net.in/

 

#Surrogacy_in_India  #health #civil_services_study #ensemble_ias_academy  #indiadeath #ias #upsc_exam #civilservices #upsc_motivation #upsc_aspirants #trendsingeography  #Science_health