स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने यह संभावना जताई थी कि ब्रह्मांड में धरती जैसे अनेकों ग्रह हो सकते हैं जिन पर जीवन की उम्मीद की जा सकती है। प्रॉक्सिमा बी (Proxima b) नामक पृथ्वी जैसे एक नए ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि हुई है।
हाल में वैज्ञानिकों को प्रॉक्सिमा सेंटॉरी नामक तारे पर एक तेज रोशनी दिखाई दी है और इस घटना के बाद से खगोलवेत्ताओं की दिलचस्पी इसमें फिर से बढ़ गई है। इस रहस्यमई रोशनी के सिग्नल की फ्रीक्वेंसी 982 मेगाहट्र्ज है, जिसे ब्रेकथ्रू लिसेन कैंडीडेट-1 (बीएलसी-1) नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे सिग्नल न तो किसी मानव निर्मित अंतरिक्ष यान और न ही किसी उपग्रह से भेजे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसी प्राकृतिक खगोलीय घटना से भी ऐसे सिग्नल पैदा नहीं हो सकते। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस तरह के रेडियो सिग्नल के पैदा होने की वजह किसी एलियन तकनीक का होना है जो काफी विकसित है और अंतरिक्ष में कहीं मौजूद है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस तारे के ग्रह में जीवन के संकेत मिल सकते हैं।
महान भौतिक शास्त्री स्टीफन हॉकिंग ने अपने अध्ययन और शोध के जरिये यह संभावना जताई थी कि कई प्रकाश वर्ष दूर हमारे इस विशाल ब्रह्मांड में धरती जैसे अनेकों ग्रह हो सकते हैं, जिन पर जीवन की संभावना की उम्मीद की जा सकती है। अब अनुसंधानकर्ताओं ने प्रॉक्सिमा बी नामक पृथ्वी जैसे एक नए ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि की है। अत्याधुनिक खगोलीय उपकरणों के माध्यम से पता चला है कि पृथ्वी जैसा यह ग्रह हमारे सौरमंडल के सबसे निकट के तारे प्रॉक्सिमा सेंटॉरी की परिक्रमा कर रहा है। स्टीफन हॉकिंग द्वारा शुरू किए गए ब्रेकथ्रू लिसेन प्रोजेक्ट के जरिये नियमित रूप से रेडियो तरंगों के विस्फोट का निरीक्षण किया जाता है। इन्हें दो शक्तिशाली टेलीस्कोप के जरिये देखा जाता है। इनमें से एक टेलीस्कोप पार्क्स वेधशाला, ऑस्ट्रेलिया में है और दूसरा अमेरिका की ग्रीन बैंक्स वेधशाला में रखा हुआ है।
प्रॉक्सिमा सेंटॉरी सूर्य से 4.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है। इसे धरती से देखना बेहद कठिन है, क्योंकि इसकी रोशनी बहुत ही कम है। प्रॉक्सिमा बी उन दो ग्रहों में से एक है जो इस तारे के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। इसका आकार धरती के मुकाबले 1.2 गुना है और यह तारे की परिक्रमा केवल 11 दिनों में कर लेता है। प्रॉक्सिमा बी प्रॉक्सिमा सेंटॉरी के गोल्डीलॉक क्षेत्र में पड़ता है। गोल्डीलॉक क्षेत्र किसी तारे के चारों ओर का वह क्षेत्र होता है जो न तो ज्यादा ठंडा होता है और न ही ज्यादा गर्म। इसमें पड़ने वाले ग्रहों में पानी आसानी से रह सकता है। जैसे पृथ्वी सूर्य के गोल्डीलॉक क्षेत्र में आती है। हालांकि इससे यह निश्चित नहीं होता कि प्रॉक्सिमा बी ग्रह पर पानी मौजूद ही होगा। प्रॉक्सिमा बी अपने तारे से बंधा हुआ है, जैसे चंद्रमा पृथ्वी से बंधा है। इसका मतलब है कि ग्रह का एक भाग सदैव रोशनी की तरफ रहता है और दूसरा भाग सदैव अंधेरे में।
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