Arctic Region Problem |धरती पर बड़ा प्राकृतिक संकट | 11000 वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
आर्कटिक (Arctic) में सबसे पुरानी और सबसे मोटी समुद्री बर्फ का टूटना अब शुरू हो गया है। बर्फ का यह भंडार ग्रीनलैंड के उत्तर में स्थित है, जो आमतौर पर गर्मियों में भी जमा रहता है। ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी गई थी। एक मौसम विज्ञानी ने बर्फ के इस तरह तेजी से पिघलने को “भयावह” बताया है।
यह घटना इतनी आश्चर्यजनक है कि वैज्ञानिकों को अपने पर्यावरणीय सिद्धांतों में बदलाव करने के लिए भी मजबूर कर सकती है। ग्रीनलैंड के उत्तरी तट पर समुद्र सामान्य रूप से इतना अधिक जमा हुआ रहता है कि इसे अंतिम हिम क्षेत्र (the last ice area) के रूप में जाना जाता है।
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद अगर 130 देशों के 11000 वैज्ञानिकों की चेतावनी पर भरोसा करें तो हमारी धरती एक भयावह संकट की गिरफ्त में है। ‘लास्ट आइस एरिया’ दुनिया का सबसे पुराना और सबसे मोटी बर्फ की चादर वाला इलाका है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब यह दोगुनी तेजी से पिघल रहा है।
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ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया प्राकृतिक आपदाओं के खतरों से जूझ रही है। माना जाता रहा है कि आर्कटिक (Arctic) में अंतिम बारहमासी समुद्री बर्फ यहीं पाई जाती है। नॉर्वे की आइस सर्विस की नवीनतम रीडिंग बताती हैं कि 1981 के बाद से इस समय आर्कटिक की बर्फ का आवरण औसतन 40% से कम है।
1970 के दशक में उपग्रह रिकॉर्ड व्यवस्था शुरू होने के बाद से किसी भी समय की तुलना में अभी आर्कटिक की बर्फ ग्रीनलैंड तट से ज्यादा दूर चली गई है। ग्रीनलैंड के उत्तर में लगभग सभी बर्फ या आइसबर्ग काफी ज्यादा टूट गए हैं।
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