Humidity: वायुमंडल में उपस्थित जल की मात्रा को आर्द्रता (Humidity) कहते हैं। दूसरे शब्दों में आर्द्रता प्रति इकाई वायु में उपस्थित जल की मात्रा यानि जल अणुओं की संख्या को कहते हैं।
वायुमण्डल में विद्यमान अदृष्य जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता ( humidity) कहलाती हैं। यह आर्द्रता ( humidity) पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रुपों द्वारा वायुमण्डल में पहुंचती हैं। आर्द्रता का जलवायु विज्ञान में सर्वाधिक महत्व होता हैं, क्योंकि इसी पर वर्षा, तथा वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान तथा विक्षोभ (चक्रवात आदि) आधारित होते हैं।
वर्षा, बादल, कुहरा, ओस, ओला, पाला आदि से ज्ञात होता है कि पृथ्वी को घेरे हुए वायुमंडल में जलवाष्प सदा न्यूनाधिक मात्रा में विद्यमान रहता है। प्रति घन सेंटीमीटर हवा में जितना मिलीग्राम जलवाष्प विद्यमान है, उसका मान हम रासायनिक आर्द्रतामापी से निकालते है, किंतु अधिकतर वाष्प की मात्रा को वाष्पदाव द्वारा व्यक्त किया जाता है। वायु-दाब-मापी से जब हम वायुदाब ज्ञात करते हैं तब उसी में जलवाष्प का भी दाब सम्मिलित रहता है।
वायुमंडल में जल की मात्रा मात्र 2 प्रतिशत है (कभी-कभी यह 3 प्रतिशत भी पहुँच जाती है) परंतु यह मौसम और जलवायु के दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है।
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1 पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन को बनाये रखने में इसकी बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
2 यह बादल के रूप में सौर्यताप को परावर्तित कर पृथ्वी के ताप को नियंत्रित करती है।
3 वायुमंडल में उपस्थित आर्द्रता तथा उसमें निहित विभवऊर्जा में सीधा सम्बंध होता है। आर्द्रता
जितनी ही अधिक होगी वायुमंडल में अस्थिरता तथा झंझावत उत्पन्न करने हेतु ऊर्जा उतनी ही
ज्यादा होगी।
4 वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा वर्षा कराने की मात्रा को निर्धारित करता है।
5 जलवाष्प पार्थिव विकिरण का अवशोषण कर पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करता हैं।
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