Indo Pacific : इंडो-पैसिफिक में भारत बड़ी भूमिका निभाने को तैयार
रणनीतिक समुदाय का मानना है कि आर्थिक व सैन्य स्तर पर मजबूत लोकतांत्रिक भारत विश्व शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। इसे ट्रम्प का व्हाइट हाउस भी सहमत है।
इंडो-पैसिफिक सिद्धांत, मूल रूप से एक भौगोलिक अवधारणा है जो हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दो क्षेत्रों को करीब ले कर आती है, यह अपने आप में कोई नई अवधारणा नहीं है। 10 साल पहले, नेशनल मरीन फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक गुरप्रीत एस. खुराना ने “इंडो-पैसिफिक रणनीति “शब्द का इस्तेमाल किया था।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने “एशिया पैसिफिक” को पूर्वी एशिया से जोड़ने वाले समुदाय के तौर पर तैयार किया था। लेकिन, ट्रम्प प्रशासन द्वारा उपयोग किए जाने वाले “इंडो-पैसिफिक” का अर्थ है कि भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य प्रमुख एशियाई लोकतंत्र, विशेष रूप से जापान और ऑस्ट्रेलिया, जो मिलकर “शीत युद्ध” के बढ़ते प्रभाव के नए ढांचे में चीन को रोकने का प्रयास करेंगे। इंडो-पैसिफिक समुदाय मुख्य रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों को लेकर पहल करता है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-पैसिफिक में एक सुरक्षित समुद्री क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव किया, और चीन के दबदबे वाले इस क्षेत्रों में भारत की सक्रिय भूमिका के स्पष्ट संकेत भी दिए है।
यह विस्तार भारत को अपनी एक्ट ईस्ट नीति में मदद करेगा। यह स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि भारत का ध्यान प्रशांत महासागर के बजाय इंडो-पैसिफिक के हिंद महासागर के मुद्दों पर अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंडो-पैसिफिक के विस्तार के साथ आसियान एक बड़ी परिधि का भौगोलिक केंद्र बन जाएगा है और इंडो-पैसिफिक का दिल बन सकता है। इससे भारत को सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों से आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी।
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इसीलिए मोदी-पेंस बैठक के पहले व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका के लिए आसमान ही सीमा है।’ एशिया-पेसिफिक कहलाने वाले क्षेत्र को मार्च में ‘इंडो-पेसिफिक’ नाम दिया गया, जो अधिकारियों के मुताबिक क्षेत्र में भारत का स्वामित्व का दर्जा दर्शाता है।
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चीन के हाल के आक्रामक व्यवहार को देखते हुए अमेरिका को लगता है कि भारत का अपनी भूमिका बढ़ाना क्षेत्र में संतुलन कायम रखने और शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि दुनिया का आधा जीडीपी (अमेरिका सहित) यहां से आता है और मोटे तौर पर वैश्विक समुद्री परिवहन का एक-तिहाई दक्षिण चीन सागर से गुजरता है। अमेरिका का चौथाई निर्यात यहां होता है और भारत व चीन को अमेरिकी निर्यात पिछले दशक में दोगुना से ज्यादा हो गया है।
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