सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट को माना मौलिक अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने Internet को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए कहा है कि सरकार संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेखित कुछ शर्तों को छोड़कर मौलिक अधिकारों से नागरिकों को वंचित नहीं कर सकती है।
जैसाकि हम जानते है कि जम्मू—कश्मीर में धारा 370 रद्द होने के बाद यानी 5 अगस्त से ही राज्य में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया था, कोर्ट ने इसी मामले की एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात कही है।
Visit our store at http://online.ensemble.net.in
भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सभी नागरिकों के लिए एक मौलिक अधिकार के तौर पर उल्लेखित है। इसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में सूचीबद्ध किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी विभिन्न अवसरों पर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे का विस्तार किया है।
ऐसा कहा जा सकता है कि इस संवैधानिक प्रावधान का नवीनतम विस्तार कर कोर्ट ने प्रौद्योगिकी के नवाचार के साथ तालमेल बैठाने का काम किया है। हाल के कुछ वर्षों में लाखों भारतीय नागरिकों के लिए इंटरनेट सूचना प्राप्त करने का प्राथमिक स्रोत बन गया है। वैसे देखा जाए तो सर्वोच्च न्यायालय का फैसला संयुक्त राष्ट्र की सिफारिश के अनुरूप भी है जिसमें यू.एन. ने हर देश से आग्रह किया था कि वह इंटरनेट को मौलिक अधिकार की सूची में स्थान दे।
View our Blog: https://ensembleias.com/blog/
भारत में, केरल साल 2017 में इंटरनेट के उपयोग को “एक बुनियादी मानव अधिकार” घोषित करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया था।
हालांकि एक राज्य तकनीकी रूप से किसी सेवा या सुविधा को मौलिक अधिकार घोषित नहीं कर सकता क्योंकि इसके लिए संसद द्वारा संविधान में संशोधन या उच्चतम न्यायालय द्वारा व्याख्या किया जाना आवश्यक है।
संविधान के अनुच्छेद 19 अनुमति देता है:
- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए;
- शांतिपूर्ण तरीके से और बिना हथियार के एकत्रित होने के लिए;
- संघों या यूनियनों के गठन के लिए;
- पूरे भारत में स्वतंत्र रूप से भ्रमण करने के लिए;
- भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने के लिए; तथा
- छोड़ी गई (संपत्ति का अधिकार)
- किसी पेशे को अपनाने का, या किसी व्यवसाय, व्यापार को चलाने के लिए
केवल उन प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है जो अनुच्छेद 19 के खंड (2) में उल्लिखित हैं। ये हैं:
- भारत की संप्रभुता और अखंडता के हितों,
- राज्य की सुरक्षा,
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध,
- सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता
- न्यायालय की अवमानना, मानहानि के संबंध में
- अपराध के लिए उकसाना
For more details : Ensemble IAS Academy Call Us : +91 98115 06926, +91 7042036287 Email: [email protected] Visit us:- https://ensembleias.com/
#supreme_court #article_19 #human_rights #fundamental_rights #u_n #technology
#geographyoptional #upsc2020 #ias #k_siddharthasir #ensembleiasacademy