कोरोना ने बढ़ाई प्रवासियों की मुश्किल – कोरोना काल गरीबों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं। जहां एक तरफ अमीर अथवा मध्यम वर्गीय परिवार अपने घरों में रहकर अपने प्रियजनों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं वहां दूसरी तरफ ये प्रवासी मजदूर एक वक़्त की रोटी के लिए दर दर भटक रहे है। कोरोना की गाज़ इन दैनिक वेतन भोगी मजदूरों पर यू आन गिरी है कि वे लोग सीधा वापस अपने गांव जाने की लालसा में नंगे पांव ही रास्ता तय करने निकल पड़े।
वे अपना घर परिवार गांव छोड़कर रोज़गार की तलाश में शहर तो अा गए पर इस कोरो ना कि मार से सबसे ज्यादा ज़ख्मी पाए गए। सारे रोज़गार ठप्प, गरीबों की रोज़ी रोटी पर ऐसी लात पड़ी कि उन्हें वापस अपने गांव जाने के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा।