70वां संविधान दिवस: क्यों प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है
हाल ही में हमने संविधान के 70 वर्ष पूरा होने का जश्न बनाया और इस उपलक्ष्य पर सरकार ने घोषणा करते हुए कहा कि इससे संबंधित कार्यक्रम अगले एक साल तक देश भर में कई स्थानों पर आयोजित होंगे। 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर इन कार्यक्रमों की शुरुआत हुई और अब पूरे वर्ष इन कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार आम जनता को उनके मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने पर जोर देगी।
26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। बाबासाहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है। वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
भारत का संविधान लिखित संविधान है। इसकी शुरुआत में एक प्रस्तावना भी लिखी है, जो संविधान की मूल भावना को सामने रखती है। क्या आप प्रस्तावना के बारे में जानते हैं? पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया था। संविधान को समझने से पहले समझिए आखिर प्रस्तावना है क्या और इसे उद्देशिका भी क्यों कहा जाता है?
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प्रस्तावना से तात्पर्य है भारतीय संविधान के मूल आदर्श, उन्हें प्रस्तावना के माध्यम से संविधान में समाहित किया गया। इन आदर्शों को प्रस्तावना में उल्लेखित शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
प्रस्तावना को संविधान की आत्मा के रूप में सम्मलित करने का इतिहास भी बेहद रोचक है। संविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को एक उद्देशिका पेश की थी। जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार का संविधान तैयार किया जाना है। इसी उद्देशिका से जुड़ा हुआ जो प्रस्ताव था वह संविधान निर्माण के अंतिम चरण प्रस्तावना के रूप में संविधान में शामिल किया गया। इसी कारण प्रस्तावना को उद्देशिका के नाम से भी जाना जाता है।
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भारतीय संविधान में प्रस्तावना का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है। वहीं प्रस्तावना की भाषा को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लिया गया है। प्रस्तावना की शुरुआत “हम भारत के लोग” से शुरू होती है और “26 नवंबर 1949 अंगीकृत” पर समाप्त होती है।
हम मूल संविधान की प्रति उठाकर पन्नों को पलटते हैं तो हमें उसके अंदर सुविख्यात चित्रकार नन्दलाल बोस की कूची से बनाए हुए कुल 22 चित्र नजर आते हैं।
इन 22 चित्रों के जरिए भारत की महान परम्परा की कहानी बयां की गई है। इनमें राम, कृष्ण,हनुमान, बुद्ध, महावीर,विक्रमादित्य, अकबर,टीपू सुल्तान, लक्ष्मीबाई, गांधी,सुभाष,क्यों है? क्या केवल संविधान की किताब को कलात्मक रूप देने के लिए ?शायद बिल्कुल नही। असल में यह चित्र भारत के लोकाचार और मूल्यों का प्रतिनिधित्व देने के लिए नन्दलाल बोस से बनवाए गए। यही चित्र संविधान की इबारत के जरिए शासन और सियासत के अभीष्ट निर्धारित किए गए थे और यही प्रस्तावना के मूल तत्वों में शामिल था।
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