US-China Trade War | अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर से भारत को फायदा

US-China Trade War से भारत को फायदा 5,360 करोड़ रुपये का लाभ |  

अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर से जिन देशों को लाभ हुआ है, उनमें भारत भी शामिल है। भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में अमेरिका को 75.5 करोड़ डॉलर (लगभग 5,360 करोड़ रुपये) का अतिरिक्त निर्यात किया है। 

अमेरिका और चीन दोनों एक दूसरे के उत्पादों पर भारी शुल्क लगा रहे हैं। इससे व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है। अमेरिका ने चीन से आने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। बदले में चीन ने भी अमेरिकी निर्यातों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर दी है। चीन ने अमेरिका से आने वाले 60 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं पर शुल्क में बढ़ोतरी की है। चीन अमेरिका को सालाना 430 अरब डॉलर का निर्यात करता है। 

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण चीन के उत्पादों पर अतिरिक्त अमेरिकी शुल्क ने अन्य देशों को अमेरिकी बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। इससे इन देशों का अमेरिका को व्यापार बढ़ा है। संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और निवेश इकाई अंकटाड की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत से अमेरिका को रसायन, धातु और अयस्कों का निर्यात बढ़ा है।ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापार में भारी कमी आई है, जिसका फायदा भारत को मिल रहा है। अंकटाड के अनुसार भारत ने रसायन (24.3 करोड़ डॉलर), धातु और अयस्क (18.1 करोड़ डॉलर), इलेक्ट्रिकल उपकरण (8.3 करोड़ डॉलर) और विभिन्न मशीनों (6.8 करोड़ डॉलर) की अतिरिक्त बिक्री की है। इसके अलावा कृषि, खाद्य उत्पाद, फर्नीचर, कपड़े और परिवहन उपकरणों का निर्यात भी बढ़ा है।ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका में उन देशों से आयात बढ़ा है, जो सीधे तौर पर ट्रेड वॉर से नहीं जुड़े हैं।

रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की वजह से पहले छह महीनों में लगभग 21 अरब डॉलर का व्यापार प्रभावित हुआ है। अंकटाड ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) के व्यापार बदलाव के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। ट्रेड वॉर के चलते अमेरिका को चीन के निर्यात में गिरावट आई है जबकि ताइवान के निर्यात में लगभग 4.2 अरब अमेरिका डॉलर की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में चीन के निर्यात में 25 प्रतिशत की कमी आई है। यह तकरीबन 35 अरब अमेरिकी डॉलर है।चीन के सामानों पर अमेरिकी शुल्कों में बढ़ोतरी के कारण ताइवान ने ऑफिस मशीनरी का सबसे अधिक निर्यात किया। इसके अलावा छह माह के दौरान 4.217 अरब डॉलर के संचार उपकरणों, इलेक्ट्रिकल मशीनरी का अतिरिक्त निर्यात किया। ताइवान के बाद इस ट्रेड वॉर का फायदा मैक्सिको और यूरोपीय संघ से उठाया। मैक्सिको ने इस छमाही में अमेरिका को 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर और यूरोपीय संघ ने 2.7 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात किया। इसके बाद वियतनाम ने दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों के बीच चल रहे युद्ध का फायदा लिया। वियतनाम ने छह माह के दौरान अमेरिका को 2.6 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात किया। वियतनाम की अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए यह वृद्धि काफी महत्व रखती है। इसके बाद जापान, कोरिया, कनाडा और भारत का नंबर आता है। इस ट्रेड वॉर की वजह से अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान हुआ है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियों के उत्पादों पर चीन द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से उनकी लागत बढ़ गई।

इस लागत की भरपाई के लिए कंपनियों ने अमेरिका में बिकने वाले अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए। उच्च टैरिफ के बावजूद चीनी कंपनियों ने अमेरिका को अपने निर्यात का 75 प्रतिशत हिस्सा बरकरार रखा है।

चीन की अर्थव्‍यवस्था को ट्रेड वॉर के कारण 17 साल का सबसे बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह से चीन का औद्योगिक उत्पादन 17 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। चीन और उस पर निर्भर देशों के लिए ये चिंता का विषय है। आंकड़ों के अनुसार चीन के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर फरवरी 2002 के बाद के बाद सबसे कम स्तर पर आ गई है। जुलाई में चीन के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि चीन की खुदरा बिक्री और निवेश की हालत भी खस्ता हो चुकी है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि गिरावट की तेजी को रोकने के लिए चीन कुछ महत्वपूर्ण ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। 

चीन की सरकार ने इन आंकड़ों की पुष्टि की और कहा कि चीन के लिए ये मुश्किल दौर है।चीन की आर्थिक मंदी से भारत को लाभ भी हो सकता है। चीन की कंपनियों के लिए भारत  नया ठिकाना भी बन सकता है। इससे भारत में रोजगार भी बढ़ सकता है। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। इस मौके का फायदा उठाकर भारत इन दोनों देशों को करीब 350 उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच उन उत्पादों की पहचान भारत ने की है जिनका निर्यात भारत इन देशों को कर सकता है। एक्स-रे ट्यूब और कुछ रसायनों सहित ऐसे 151 घरेलू उत्पाद हैं, जिनका निर्यात भारत से चीन को हो सकता है। चीन अभी तक ये उत्पाद अमेरिका से खरीदता रहा है। इसी तरह ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड और अन्य 203 भारतीय उत्पाद हैं, जिनका निर्यात अमेरिका को किया जा सकता है। अमेरिका अभी भी ये उत्पाद चीन से खरीदता है। भारत निर्यात बढ़ाकर चीन के साथ अपने व्यापार घाटा को भी कम कर सकता है। अप्रैल-फरवरी 2018-19 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 50.12 अरब डॉलर का था। 2018 में अमेरिका का भारत का निर्यात 11.2 प्रतिशत बढ़ा है जबकि चीन को निर्यात 31.4 प्रतिशत अधिक हुआ है। 

अमेरिका-चीन की इस लड़ाई में भारत को व्यापारिक लाभ मिलेगा, लेकिन लंबे समय तक  ट्रेड वॉर चलने से विश्व व्यापार पर खराब असर पड़ेगा। जो सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेगा। चालू वर्ष की पहली तिमाही में विश्व व्यापार में गिरावट देखी गई है और इससे विश्व व्यापार और घट सकता है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल बनेगा। इससे भारत में होने वाले निवेश में कमी आ सकती है। 

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