दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीयू के विलय के बाद केंद्र शासित (Union Territory) प्रदेशों की संख्या घटकर आठ हुई। संसद ने दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीयू केंद्र शासित प्रदेशों के विलय को मंजूरी देने वाले विधेयक को पारित कर दिया है। राज्यसभा ने 3 दिसंबर, 2019 को विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। लोकसभा ने 27 नवंबर को इसे पारित किया था।
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नए केंद्र शासित प्रदेश का नाम दादरा और नगर हवेली और दमन और दीयू होगा। यह बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आएगा।
दो केंद्र शासित प्रदेशों के विलय के पीछे का मुख्य उद्देश्य यहां की प्रशासनिक गतिविधियों में सुगमता लाना और इस क्षेत्र के विकास कोसुनिश्चित करना है। यह न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगा, नीतियों में एकरूपता लाएगा बल्कि सेवा वितरण में सुधार, कागजी कार्रवाई को कम करने के साथ ही विभिन्न कर्मचारियों के कैडर के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा।
इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों पर लंबे समय तक पुर्तगालियों का शासन रहा। दमन दीयू को दिसंबर 1961 में पुर्तगाली शासन से मिली और यह क्षेत्र 1987 तक गोवा केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा रहा, लेकिन गोवा के पूर्ण राज्य के बाद यह क्षेत्र अलग केंद्र शासित राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया। वहीं दादरा नगर हवेली 2 अगस्त, 1954 को स्वतंत्र हुई और साल 1961 में इसका विलय भारत के साथ हुआ।
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गौरतलब है कि इन दोनों द्वीपों के बीच केवल 35 किमी की दूरी है, लेकिन दोनों का बजट अलग है। लेकिन जब यह बिल एक कानून बन जाएगा तो दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की संपत्ति और देनदारियों को विलय कर दिया जाएगा और इसका संबंध नए केंद्र शासित प्रदेश से होगा। दमन और दीव में दो जिले हैं जबकि दादरा नगर हवेली में एक जिला है। नए केंद्र शासित प्रदेश को दो लोकसभा सीटें दी गई है।
नए केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षण, प्रशासन और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा। वही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पहले की तरह आरक्षण मिलता रहेगा।
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