शहरवासियों के लिए वायु प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है । इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए योगी सरकार ‘ग्रिड आधारित एक्शन प्लान’ लागू करने जा रही है । शुरुआत कानपुर नगर से होगी । फिर आगरा, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, बरेली आदि शहरों में लागू करेंगे।
इस निर्णायक पड़ाव तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आईआईटी कानपुर के जरिए आगरा और कानपुर शहर का जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम(जीआइएस) अध्ययन कराते हुए वायु प्रदूषण के स्रोत चिन्हित किए गए हैं। यह इसलिए जरूरी था, क्योंकि वह प्रदूषित हवा कहां से निकली और किन इलाकों में आ पहुंची, ठीक-ठीक पता नहीं लग पाता था।
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फिलहाल सरकार ने न सिर्फ स्रोत खोज लिए हैं, बल्कि उसने निपटने के लिए शहरों को दो गुना 2 किलोमीटर के ग्रिडों (हिस्सों) में बांट लिया है। प्रदूषणकारी इन प्रतिष्ठानों से 11 विभाग एकजुट होकर निपटेंगे । बोर्ड ने इस पहल के दम पर अगले 3 साल में 20 से 30 फीसद तक प्रदूषण में कमी का लक्ष्य रखा है। नतीजे जो भी हों, इस मॉडल की तारीफ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी कर चुका है ।
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वर्ष 2019 में लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल का आकलन था कि देश में 1700000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई। प्रदूषण ने सर्वाधिक आर्थिक नुकसान भी उत्तर प्रदेश का ही किया है । इससे प्रदेश की जीडीपी का 2.2 प्रतिशत नुकसान माना गया । अब प्रदूषणकारी कारकों पर ठोस पहल नई किरण लेकर आई है । वैसे, कानपुर में गंगा में गिरते नाले बंद कराकर योगी सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दे चुकी है। उम्मीद है, वायु प्रदूषण रोकने का नया फार्मूला भी फिट ही बैठेगा।