डिजिटल दुनिया के नए सामंत:

डिजिटल दुनिया के नए सामंत:

डिजिटल दुनिया के नए सामंत: केंद्रीयकृत राज्य-सत्ता के विकास के साथ सामंतवाद का पराभव हुआ, लेकिन आज तकनीकी परिवर्तन राज्य-सत्ता को कमजोर कर रहा

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आइटी नियमों यानी इंफारमेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल एथिक्स कोड रूल्स-2021 को लेकर भारत सरकार और ट्विटर एवं वाट्सएप के बीच टकराव विश्व पटल पर हो रहे बड़े परिवर्तन की नई कड़ी है। पिछले दो दशकों का तकनीकी विकास अर्थव्यवस्था, समाज और राजनीतिक व्यवस्था में भारी उथलपुथल का कारण बना है। इतिहास में तकनीकी क्रांति ही असली क्रांति साबित होती आई है, जो मानव समाज को परिर्वितत करती है और अपने अनुरूप नई विचारधारा, रजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था को जन्म देती है। पिछली कुछ शताब्दियों में तकनीकी परिवर्तन पुरानी सामंतवादी व्यवस्था के पतन का कारण बना। कारखानों और उत्पादन की नई संरचना ने नए शहरों को निर्मित किया, आर्थिक शक्ति को ग्रामीण इलाकों, कृषि एवं जमींदारों से उद्योगपतियों और मध्यम-वर्ग को हस्तांतरित किया, जिससे राज्य की आर्थिक एवं सैन्य शक्ति में वृद्धि हुई, जो आवागमन और संचार के बेहतर साधनों के साथ आधुनिक राष्ट्र-राज्यों की उत्पत्ति में परिलक्षित हुई। केंद्रीयकृत राज्य-सत्ता के विकास के साथ सामंतवाद का पराभव हुआ, लेकिन आज वही तकनीकी परिवर्तन राज्य-सत्ता को कमजोर कर रहा है और नई सामंतवादी व्यवस्था को जन्म दे रहा है, जिसे हम डिजिटल नव-सामंतवाद कह सकते हैं।

नए डिजिटल सामंतों की शक्ति लोकतांत्रिक सरकारों और राज्य की शक्ति को अक्षम बनाने में समर्थ

इंटरनेट और सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा जनित कंपनियां जैसे फेसबुक, एपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन, जिन्हेंं बिग-टेक भी कहा जाता है, आज इतनी शक्तिशाली हैं कि इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इन पांच कंपनियों के अलावा अनेक ऐसी बड़ी कंपनियां हैं, जो बेहद शक्तिशाली बनती जा रही हैं। इनमें से एक ट्विटर भी है। डिजिटल नव-सामंतवाद के आधार-स्तंभ हैं: अप्रत्याशित कंप्यूटिंग शक्ति, बिग-डाटा और तेजी से उभरती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ, आर्थिक शक्ति का निजी हाथों में अत्यधिक केंद्रीयकरण और समाज को प्रभावित करने एवं अपने अनुसार ढालने की क्षमता। इनकी मनमानी ताकत आम नागरिकों को इनकी मर्जी पर निर्भर रहने को मजबूर कर रही है। इन नए डिजिटल सामंतों की शक्ति आज लोकतांत्रिक सरकारों और राज्य की शक्ति को भी अक्षम बनाने में समर्थ है। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते लगातार अमेरिकी कानूनों, जैसे सेक्शन 230 में परिवर्तन करके इन कंपनियों के मनमाने व्यवहार पर रोक लगाने की बात की थी। यह खुली बात है कि इसके जवाब में इन कंपनियों ने ट्रंप के विरुद्ध चुनावी माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डिजिटल नव-सामंतवादी कंपनियों का उपयोग राजनीतिक प्रोपेगेंडा फैलाने तक में किया जा रहा

आज क्या बोला जा रहा है, क्या सोचा जा रहा है, लोग आपस में कैसे बात कर रहे हैं, सूचना प्रसारण कैसे हो रहा है, सूचना कहां एकत्र हो रही है और उसका क्या इस्तेमाल हो रहा है, व्यापार एवं वाणिज्य कैसे हो रहा है, यह सब इन डिजिटल नव-सामंतवादी कंपनियों द्वारा निर्धारित हो रहा है। आप क्या पढ़ रहे हैं, क्या देख रहे हैं, कहां जा रहे हैं, क्या लिख रहे हैं, इन सब का डाटा भी इन कंपनियों के पास जा रहा है। इसका उपयोग लोगों की पसंद के अनुसार निर्मित विज्ञापन दिखाने से लेकर राजनीतिक प्रोपेगेंडा फैलाने तक में किया जा रहा है। कभी सोचा है कि आपने वाट्सएप पर किसी वस्तु के बारे में बात की और फेसबुक पर उसी के विज्ञापन क्यों दिखने लगे? आप किसी स्थान पर गए और गूगल पर वहां की दुकानों के विज्ञापन क्यों दिखने लगे? कभी सोचा है कि ट्विटर, वाट्सएप इत्यादि मुफ्त क्यों हैं? क्योंकि वे नहीं, बल्कि आप इन कंपनियों के प्रोडक्ट हैं, जिसे वे बेच रहे हैं। आज सत्ता का हस्तांतरण राज्य से इन डिजिटल नव-सामंतों की तरफ हो रहा है। हाल में गूगल ने ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश को गंभीर परिणाम भुगतने और व्यापार-निषेध की धमकी दी। इस धमकी का मकसद था कि ऑस्ट्रेलिया गूगल की मनमानी रोकने का कानून बनाने से बचे। इस धमकी के साथ ही यह संकेत किया गया कि सूचना-तंत्र का उपयोग ऑस्ट्रेलियाई सरकार के विरुद्ध माहौल बनाने में किया जाएगा। भारत में भी ट्विटर और वाट्सएप जैसी कंपनियां प्रत्यक्ष तौर पर यही कर रही हैं।

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बिग टेक कंपनियों को भारत के नियमों का पालन करना होगा

नए आइटी नियमों के अनुसार बिग टेक कंपनियों को भारत के नियमों का पालन करना होगा, जैसे सरकार द्वारा प्रतिबंधित समाग्री को हटाना। किसी भी भारतीय के संविधान-प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकारों को प्रतिबंधित न करना, जब तक कि कोई कानूनी आदेश न हो। जनता के लिए शिकायत अधिकारी नियुक्त करना, भारत के नियमों के अनुसार कार्य करने के लिए अनुपालन अधिकारी और एक नोडल अधिकारी को भारत में ही तैनात करना। इसके अलावा सरकार द्वारा कानूनी प्रक्रिया से दिए गए आदेश के अनुसार किसी जुर्म-आतंकवाद, अपहरण जैसी स्थिति में वारदात से संबंधित डाटा को सरकार को उपलब्ध कराना।